Delhi Earthquake: दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके:-
दिल्ली-एनसीआर में सोमवार दोपहर बाद 4.16 बजे भूकंप के झटके महसूस किए है। भूकंप के बाद लोग safety के लिए अपने अपने घरों से बाहर निकलकर खुली जगह की ओर जाते दिखे। झटके दिल्ली से सटे नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम और गाजियाबाद में भी महसूस किए गए। नेशनल केन्द्र फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक भूकंप का केंद्र नेपाल रहा और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.6 मापी गई।
फिलहाल अभी कहीं से भी किसी प्रकार के नुकसान की जानकारी सामने नहीं आई है। ज्ञात हो कि बीते शुक्रवार को ही नेपाल में भूकंप ने बड़ी तबाही मचाई थी। इसमें जाजरकोट में 905 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए जबकि 2745 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा था। वहीं रुकुम पश्चिम में भूकंप से 2,136 घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए और 2,642 घरों को आंशिक व 4,670 घरों को सामान्य नुकसान पहुंचा था। इसके अलावा 150 से अधिक लोगों को इस जलजले में अपनी जान गंवानी पड़ी और करीब 200 लोग घायल हुए थे।
भूकंप के झटके कब कब महसूस किये गए:-
तीन दिनों में दूसरी बार है जब भूकंप के झटके लगे हैं | शुक्रवार की रात को करीब साढ़े 11 बजे 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था. इसका केंद्र नेपाल था और इसके झटके दिल्ली तक महसूस हुए थे | नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के वैज्ञानिक संजय कुमार प्रजापति ने कहा, “नेपाल में 3 नवंबर को भूकंप आने के बाद अब तक 14 झटके (आफ्टर शॉक) आ चुके हैं, ये अब तक की सबसे ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप था. दिल्ली में दो से तीन की इंटेंसिटी थी. 4.1 तीव्रता का भूकंप 6.4 का सबसे अधिक था. ये कुछ दिन तक चलता रहेगा. आफ्टर शॉक की तीव्रता कम होती है |”
उन्होंने कहा, ”जब भी बड़ा भूकंप आता है तो कुछ दिनों तक झटके आते रहते हैं. दिल्ली में 10 सेकेंड तक झटके महसूस हुए है |”
भूकंप से हुए नुक्सान:-
शुक्रवार को आए इस भूकंप में 153 लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ों घर क्षतिग्रस्त हो गए. नेपाल में 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप आया था. उसके बाद आए झटकों के कारण लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी और 22 हजार से अधिक लोग घायल हो गए थे |
क्या दिल्ली भूकंप क्षेत्र में है?
यह टक्कर दिल्ली और इसके पड़ोसी क्षेत्रों सहित उत्तर भारत में महत्वपूर्ण भूकंपीय गतिविधि के लिए जिम्मेदार है। जबकि दिल्ली स्वयं किसी बड़ी फॉल्ट लाइन पर स्थित नहीं है, हिमालय से निकटता के कारण यह भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र में स्थित है |
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी की बाहरी परत कई टुकड़ों में बाटी हुई है | पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। यह प्रकिया महासागरीय इलाकों में ज्यादा देखने को मिलती है |
जानें क्या है भूंकप के केंद्र और तीव्रता का मतलब?
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर सात या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन safety इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
किस देश में सबसे ज्यादा भूकंप आते हैं?
जापान : जापान दुनिया के सबसे अधिक भूकंप-प्रवण देशों में से एक है, जो प्रशांत “रिंग ऑफ फायर” पर स्थित है | जो सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्र है। देश में प्रति वर्ष 1,500 से अधिक भूकंप आते हैं, और विनाशकारी भूकंपों का इसका एक लंबा इतिहास है।
इंडोनेशिया, चिली, नेपाल, मेक्सिको, सयुंक्त राज्य अमेरिका का कैलीफोर्निया व् अलास्का, फिलिपिंस, टर्की व् अन्य देश जहाँ पर भूकंप आते है |
दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा भूकंप जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़े थे वह चिली में 1960 में आया था जो की करीबन 9.5 की तिव्रता का भूकंप था |
भूकंप के नुकसान:-
भूकंप आने से पृथ्वी व् उस पर बनी सरंचना को काफी नुकसान पहुचता है जिसमे बड़ी बड़ी मंजिलों का टूटना व् उनमे दरारे आ जाना, सडकों व् पेड़ों का टूट जाना, जमींन का धंस जाना और फट जाना भी इसमें शामिल है | भूकंप में जो धरती की परतें आपस में टकराती है उसके कारण समुन्दर के पानी में भी काफी हलचल होती है जिसके कारण बड़ी बड़ी लहरे उठती है और वो लहरे कई बार सुनामी का रूप ले लेती है जिस से समुंदर का पानी रिहाइशी इलाकों में घुस कर लोगों की समस्या को और बढ़ा देता है |
भूकंप कैसे मापा जाता है?
सिस्मोग्राफ प्राथमिक भूकंप मापने वाला उपकरण है । सिस्मोग्राफ भूकंपीय तरंगों के कारण होने वाली जमीन की गति की डिजिटल ग्राफिक रिकॉर्डिंग तैयार करता है। डिजिटल रिकॉर्डिंग को सीस्मोग्राम कहा जाता है। दुनिया भर में भूकंपमापी का एक नेटवर्क भूकंप की तरंगों की ताकत और अवधि का पता लगाता है और मापता है।
भूकंप से बचने के लिए safety भवन कैसे बनाये:-
safety के लिए मकान बनाते समय जितना हो सके हलकी व् लीची चीजों का इस्तेमाल करे जैसे की आप फाइबर का प्रयोग कर सकते है और साथ ही अपने माकन बनाते समय safety के लिए अच्छी किस्म की कंक्रीट व् स्टील का प्रयोग कर सकते है | इसके अलावा मकान की नीव गहरी रखे | Safety के लिए Basic Standards की सहायता से भी आप भूकंप से कुछ हद तक अपनी safetyको बढा सकते है |
भूकंप का पूर्वानुमान:-
अभी तक ऐसा कोई भी ठोस विकल्प नहीं है जिससे भूकंप का पूर्वानुमान पता लगाया जा सके | हालाँकि कई देशों में कुछ safety तकनीको का इस्तेमाल किया जाता है पर अभी तक कोई भी ऐसा ठोस विकल्प नहीं है जिस से भूकंप का समय, गति, तिव्रता और स्थान का समय से पहले पता लगाया जा सके और सभी की safety को सुनिशिचित किया जा सके |
किसे सबसे ज्यादा परेशानी होती है:-
वैसे तो भूकंप में सभी की safety काफी जरुरी होती है | भूकंप से सबसे जयादा परेशानी छोटे बच्चों, शिशुओं, गरभवती महिलाओं, बुजुर्ग लोगों व् जो मानसिक व्र शारीरिक रूप से कमजोर लोगों को होती है और साथ ही जो लोग दिल की बीमारी से ग्रसित होते है उनको भी इस से काफी परिशानी का सामना करना पड़ता है |
आप भूकंप से कैसे बचते हैं?
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सभी की safety को लेकर भूकंप के लिए अलर्ट जारी करता रहा है. इसके मुताबिक, झटके लगने पर घबराएं नहीं, शांत रहें और टेबल के नीचे जाएं. एक हाथ से सिर को ढकें और झटके समाप्त होने तक टेबल को पकड़े रहें | इमारतों, उपयोगिता तारों, सिंकहोल्स और ईंधन और गैस लाइनों से दूर रहें । मलबा गिरने से सबसे बड़ा ख़तरा इमारतों के दरवाज़ों के बाहर और बाहरी दीवारों के पास होता है। पेड़ों, टेलीफोन खंभों और इमारतों से दूर किसी खुले क्षेत्र में जाएँ। एक बार खुले में, नीचे उतरें और तब तक वहीं रहें जब तक झटके बंद न हो जाएं। ये कुछ उपाय कर के आप अपनी safety को कुछ हद तक बाधा सकते है |
Conclusion:-
दोस्तों हमने आपको दिल्ली में आये भूकंप के बारे में जानकारी दी है यदि आप इसी प्रकार टेक्नोलॉजी, जॉब्स और करियर , ऑटोमोबाइल से रिलेटेड कोई भी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे ब्लॉग “www.affairinmarket.com” व् सोशल मीडिया अकाउंट को फॉलो करें और यह सभी जानकारी आप अपने दोस्तों को जरुर शेयर करें धन्यवाद |